माँ का दीपक
माँ से सुनी थी कहानी,
राजा था या रानी।
हो गई ये वर्षो पुरानी,
आज किसने सुनी ये कहानी।
माँ ने थे छिपाये अनेकों संदेश,
काम न आया एक भी संदेश।
बेटे ने ऐसा बदला अपना भेष,
निकला उसमें भी राग द्वेष।
रह गई वहीं यादें बचपन की,
याद न रही वह कहानी बचपन की।
माँ से सुनी थी कहानी,
राजा था या रानी।
बेटे को माँ की ममता याद न रही,
उसे वह कहानी याद न रही।
जिन्दगी ने बदला था रूख,
बेटे ने बदला अपना सुख।
खुशी हो या गम,
माँ की ममता जगायेंगे हम।
मदर डे कल हो या आज लेकिन,
मनायेगें हर दिन हम साथ।
Writer: Aditya Kumar
Tags:
Poetry
