मुक्ति गीत
मुक्त करो मुझे मुक्त करो
इस संसार से और इस संसार के
मोह माया से
मुक्त करो मुझे मुक्त करो
जब भी अपनी राह भटकूँ मैं
मुझको अपनी राह पर लाना तू
जब भी अपने लक्ष्य को भूलूँ मैं
मुझको अपने लक्ष्य से अवगत कराना तू
मुझको अपने लक्ष्य से अवगत कराना तू
जब भी राह में काँटों को देख घबराऊँ मैं
तब मेरा हमसाया बनकर आना तू
जब भी कभी मैं इस शरीर को त्याग दूँ
मुझको इस संसार से मुक्ति दिलाना तू
मैं चुपचाप तेरे पास चला आऊँगा
तेरे दिल में मैं अपनी जगह बनाऊँगा
अपने जिंदगी के हर एक पन्नों को
तेरे हवाले कर मैं सदा के लिए
इस दुनिया से मुक्त हो जाऊंगा और
अगर मेरा दोबारा जन्म होगा तो
मैं तेरा बेटा बनकर ही इस धरती
पर अपने कदम रखना चाहूंगा
अगर मेरा दोबारा जन्म होगा तो
मैं तेरा बेटा बनकर ही इस धरती
पर अपने कदम रखना चाहूंगा
"तमसो मा ज्योतिगर्मय"
Writer: Aditya Kumar
Tags:
Poetry