मैंने सीखा
ना कभी किसी से मुँह मोड़ना सीखा।
२. अपनों का साथ छोड़ना नहीं सीखा,
ना कभी मौत से डर कर भागना सीखा।
३. मैंने जिंदगी को सही ढंग से जीना सीखा,
मैंने खुद का अलग पहचान बनाना सीखा।
४. अपने हो या पराए सबका साथ निभाना सीखा,
दुख हो या सूख सबको दोस्त बनाना सीखा।
Writer: Aditya Kumar
Tags:
Poetry