एकता में शक्ति
एक गाँव में भाई थे पाँच,
आपस में लड़ते थे पांचों
दे धोबी पछार
पिता ने लाख समझाया उनको
बात समझ न आयी पांचों को
तब पिता ने दिया डंठल का
गुच्छा हजार
तोड़ न सके
हो गए बेकार
जब दिया उनको एक डंठल
बारी बारी तोड़ा सबने
आसानी से सारी सारी
तब पिता ने समझाया और उनसे कहा
"देखा एकता में कितनी शक्ति है
अकेले में कितनी कमजोरी होती है"
बात समझ में आई जब
छोड़ दिया उन्होने लड़ाई तब।
Writer: Aditya Kumar
Tags:
Poetry