1. रात आयेगी और आकर चली जायेगी,
दिन आयेगा और आकर चला जायेगा।
पर जिन्दगी एक पहेली ही तो है,
और इस पहेली का सार तब समझ आयेगा।
2. रात के अंधेरे में दिन के उजाले को ढुँढता हूँ,
दिन के उजाले में सितारों को ढुँढता हूँ,
सुखे हुए बागों कलियों को ढुँढता हूँ,
और माँ बाप के चरणों में अपने आप को ढुँढता हूँ।
3. दिन रात भागता हूँ, दिन रात जागता हूँ,
राह में आये उन लाखों मोड़ से डरता हूँ,
अपनी हर एक हार के बाद खुद को कोसता हूँ,
तब थक कर बैठ अपने सपनों को बुनता हूँ।
4. रात के तारों से अपनी मंजिल का पता पुछता हूँ,
दिन में सुरज की गर्मी से जलकर मजबूत बनता हूँ,
पेड़ों की सुनहरी डालियों में सोता हूँ,
और पकड़े जाने पर पिंजरे में रहकर रोता हूँ।
5. सच कहता हूँ, यह जिन्दगी बड़ी निराली है,
कभी किसी के लिए प्याली है,
तो कभी किसी के लिए गाली है,
विशवास करो आगे की सीढ़ी तुम्हारे लिए खाली है।
Writer: Aditya Kumar
Tags:
Poetry
Kya baat hai bahut acha.
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